Wednesday 9 November 2016

यादें तुम्हारी अनगिनत - Yadein Tumhari Anginat


#PyasaMann

क्या लिखूं, हैं आज भी यादें तुम्हारी अनगिनत 

सोच भी सकता नहीं, बातें तुम्हारी अनगिनत 

चुप रहूँ तो भी मेरी आँखें दिखा देती ही हैं 
बीते हुए लम्हों की वो तस्वीर तेरी अनगिनत 

एक तो ये मासूम चेहरा और उसपर सादगी 
हर कदम पर देखती हैं तुझको नज़रें अनगिनत 

अनगिनत यादों में तेरी, अनगिनत मेरी ख़ुशी 
अनगिनत तेरी हँसी, तेरी अदायें अनगिनत 

अनगिनत अजनबी चेहरे अनगिनत आवाज़ है 
याद रह पाती नहीं, पहचान इनकी अनगिनत

इस शहर में लोग तो मिलते बड़े अदब से हैं 
पर नहीं अपना कोई, बस 'नाम' मिलते अनगिनत

जब कभी मायूस मैं होता हूँ तेरी याद में 
गुदगुदा जाती हैं मुझको, बातें तेरी अनगिनत

सोचता हूँ, क्या लिखूँ, कैसे लिखूँ , कितना लिखूँ
अनगिनत तो याद आए, कह ना पाऊँ अनगिनत

-ABHISHEK SINGH



-अभिषेक सिंह 


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Pyasa Mann                                                     प्यासा मन 


Monday 7 November 2016

आज भी है - Aaj Bhi Hai


मेरी  दुनिया,तेरी  दुनिया  से आहत आज भी है 

तेरी चाहत की चाहत मेरे दिल में आज भी है 

कभी मैं कह न सका तुमसे अपने दिल की बातें
मेरे दिल में रहो ये मेरी हसरत आज भी है 

दिखायी  देती है जो बंद पलकों के गगन में 
चमकते चाँद सी वो तेरी सूरत आज भी है 

मेरी आँखों में कोई दर्द समाता नहीं अब 
कि तेरी मुस्कराहट मेरे दिल में आज भी है 

नहीं रहती है अब खामोश ये तन्हाइयाँ भी 
तेरी उड़ती हुई जुल्फों की आहट आज भी है 

ना  जाने क्या हुआ है, दोस्त सब रूठे हैं मुझसे 
तेरे होंठो पे मेरा नाम शायद आज भी है 

-Abhishek Singh 


-अभिषेक सिंह 

Friday 4 November 2016

अब ना मिलेंगे - Ab Na Milenge

ए दिल मेरे अब सीख ले अंधेरे में जीना रोशन था जहाँ जिससे, वो अब ना मिलेंगे

नज़रों को तेरे फिर कभी अब हम ना दिखेंगे

हर मोड़ पे मिलती थी नज़र, अब ना मिलेंगे

हम जा रहे हैं मुड़ के ज़रा देख लो हमें
ये आख़िरी दीदार है, कल फिर ना मिलेंगे

कहीं खो ना जाना वक़्त की इस भीड़ में तुम भी
साथी बनाने को तो यहां कितने मिलेंगे

कल भी वो नज़र मेरा इंतज़ार करेंगी
उन्हें क्या पता कि फिर कभी अब हम ना मिलेंगे

इतनी भी रहनुमाई तो कर दे ज़रा हम पे
तसल्ली को पूछ ले, अब कहां मिलेंगे

ए खुदा, कभी मुफ्लिसों का दिल ना बनाना
दौलत से कभी इश्क़ के अरमां ना पलेंगे

जाते हुए कदमों की निशानी को चूम लूँ
जाने कहाँ, किस मोड़ पे अब फिर ये मिलेंगे

ए दिल मेरे अब सीख ले अंधेरे में जीना
रोशन था जहाँ जिससे, वो अब ना मिलेंगे

-Abhishek Singh
-अभिषेक सिंह 

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