Tuesday 28 February 2017

आपकी याद आती रही रात-भर - Aapki Yaad Aati Rahi Raat Bhar

आपकी याद आती रही रात-भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर


गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर



कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर



फिर सबा साय-ए-शाख़े-गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर



जो न आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर
हर सदा पर बुलाती रही रात-भर



एक उमीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात-भर

-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Faiz Ahmed Faiz


-Faiz Ahmed Faiz


Sunday 26 February 2017

रात चुपचाप दबे पाँव चली जाती है - Raat Chupchap Dabe Paaw...

रात चुपचाप दबे पाँव चली जाती है 

रात ख़ामोश है रोती नहीं हँसती भी नहीं 

कांच का नीला सा गुम्बद है, उड़ा जाता है 
ख़ाली-ख़ाली कोई बजरा सा बहा जाता है

चाँद की किरणों में वो रोज़ सा रेशम भी नहीं 
चाँद की चिकनी डली है कि घुली जाती है

और सन्नाटों की इक धूल सी उड़ी जाती है 
काश इक बार कभी नींद से उठकर तुम भी 

हिज्र की रातों में ये देखो तो क्या होता है

- संपूर्ण सिंह कालरा 'गुलज़ार'

-Sampoorna Singh Kalra 'Gulzar'


Saturday 4 February 2017

इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा - Itna Mat Chaho Use.....



सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा

इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा


हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा

कितनी सच्चाई से मुझसे, ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा

मैं खुदा का नाम लेकर, पी रहा हूं दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा

सब उसी के हैं, हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमां
मैं जहां भी जाऊंगा, उसको पता हो जाएगा
-BASHIR BADRA

-बशीर बद्र